वो ठहरी विस्तृत अम्बर सी, वो नदिया सी बहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
मेरे भविष्य की चिंता में वो डरी - डरी रहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
कहने को नाज़ुक स्त्री है हर भार मगर सहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
मेरी जननी के आंचल से अमृत की धार बहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
अपनी छोटी सी दुनिया में खोई - खोई रहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
मेरी दी हर एक वेदना को हंसते - हंसते सहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
मेरी हर हार से मां के सपनों की दुनिया ढहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
मां डांट डपटकर फिर खुद ही आंचल में भर लेती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
मां तेरी सुंदर मूरत में ईश्वर की छवि रहती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।
मुझ सी पापी संतान को मां क्यों इतना प्रेम देती है,
मैं अंश हूँ उसकी आत्मा का ये मेरी मां कहती है।