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झूठ सही

मातृ-दिवस

फूलों की महकी सी बगिया, कली-कली खुलकर मुस्काई,
मेरी मां सूरज की ज्योति, मैं अपनी मां की परछाई।

ठण्डी - ठण्डी हवा बह रही, महकी महकी जरा-जरा सी,
मेरी मां सुन्दर सी मूरत, मुझमें मां की झलक जरा सी।

गहरा - गहरा नीला अंबर, बादल ने आंचल बिखराया,
मेरी मां धरती सी सुंदर, मुझमें अपनी मां का साया।

निश्चल सी बहती एक नदिया, फूलों का एक नरम बिछौना,
मां की आंखें जलता दीपक, मैं आंखों का स्वपन सलोना।

रंग भरी एक बंद पोटली, छोटी सी जादू की पुड़िया,
मेरी मां मासूम सी मां और मैं उसकी छोटी सी गुड़िया।