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मेरे नंगे पांव

मेरे नंगे पांव

बारिश के पानी से भर आई गलियां, गोते लगाती वो कागज़ की नाव,
गीले धरातल पर मिट्टी से सनकर नक्शे बनाते मेरे नंगे पांव।

गर्मी की छुट्टी और तपती दुपहरी, आंख-मिचौली करते धूप और छांव,
जलती-सी फर्श पे करते तमाशे, जल-भुन जाते मेरे नंगे पांव।

छोटी-सी गुड़िया के सपने सलोने, परदेस जैसा है बाजू का गांव,
टीका और बिंदी और छन-छन छनकती पायल को तरसें मेरे नंगे पांव।

बचपन की ख्वाहिश बस खाना - खिलौना, टॉफी, मिठाई और मेले का चाव,
पापा के दफ़्तर से आने की ख़ुशी में दौड़ लगाते मेरे नंगे पांव।

रंग जवानी का लाल - सुनहरा, बढ़ती अभिलाषा, बदलते से भाव,
ताल से ताल मिलाकर थिरकते, उछलते, मचलते मेरे नंगे पांव।

प्रेम की महफ़िल का पहला सा नगमा, पहली सी धुन, वो पहला अनुराग,
साक्षी कर अग्नि को लेते हैं फेरे, वचन निभाते मेरे नंगे पांव।

जीवन की नैया, सुख - दुख की ढैया, फूलों सी खुशियां और कांटों के घाव,
मासूम बच्चे से नाज़ुक हैं लेकिन, जीवन से लड़ते मेरे नंगे पांव।