खत लिखे थे सैकड़ों उनका जवाब आया नहीं,
लो गया एक और अरसा, लौट तू पाया नहीं।
पढ़ने को कुछ ना बचा गर, बंद अब ये किताब कर दो।
अंब जुदा जब हो रहे हो, तुम मेरा हिसाब कर दो।
फूल तुमने एक दिया था मोगरे का याद है?
फूल को जुल्फों में मैने था सजाया याद है?
फूल को वापिस रखो, इन जुल्फों को आजाद कर दो।
मुद्दतें सी हो गई हैं, अब मेरा हिसाब कर दो।
छुपके तुमको देखती थी खिड़कियों की आड़ से,
मुझसे मिलने आते थे तुम पीछे के किवाड़ से।
खिड़कियां बंद हो चुकी, तुम बंद वो किवाड़ कर दो।
जा रहे हो, जाते-जाते, बस मेरा हिसाब कर दो।
ना जुदा होंगे कभी हम, वादा ये सच्चा किया,
सब वहम था, कल्पना थी, तोड़ कर अच्छा किया।
कसमें वादे सब यूँ ही थे, सब मिटा के खाक कर दो।
भूल कर सब झूठे नग़मे, तुम मेरा हिसाब कर दो।
हृदय से हम पूर्ण थे, फिर प्रेम आधा क्यूँ किया?
विरह रस जब घोलना था, झूठा वादा क्यूँ किया?
स्मृति अवशेष हैं इनको जला के राख कर दो।
कर रही हूँ मिन्नतें अब तुम मेरा हिसाब कर दो।
तकिये के कोने भिगोते मेरे आंसू आज भी,
मेरे आंचल में लगी है तेरी खुश्बू आज भी।
है किताब में रखा सूखा वो फूल आज भी,
फर्श पर चिपकी तेरे पैरों की धूल आज भी!
मेरे ख्वाबों मे वो प्रेमी छुप के मिलते आज भी,
हैं मुस्कुराते आज भी, आंसू बहाते आज भी।
आज लौटा दो ये सब कुछ, काम ये नायाब कर दो।
तुम मेरा हिसाब कर दो, बस मेरा हिसाब कर दो।