उम्र 35, रंग सांवला और शरीर भारी से थोड़ा हल्का,
हूँ मैं कतई साधारण पर क्या कहना मेरे आत्मबल का।
हुस्न पे कर लूं अपने नाज़, ऐसी तो मेरी शक्ल नहीं,
कब की आ गई अक्कल दाढ़, बस आती मुझको अक्ल नहीं।
सपने देखूं बड़े-बड़े, आलस का पलड़ा भारी है।
कभी खास कुछ किया नहीं और हुनर की मारा-मारी है।
राय मैं हर मुद्दे पर दूं, उल्टी ही सही, बकवास सही।
करूं मैं बातें बड़ी-बड़ी, चाहे दिमागी हालत कुछ खास नहीं।
ना दुनिया का कुछ ज्ञान मुझे, ना पावर है ना पैसा है।
ना सीखे सलीके जीने के, मेरा हाल फकीरों जैसा है।
अब आ ही गए हैं धरती पर, तो जी लेंगे या मर लेंगे,
देर सही सवेर सही, पर कुछ ना कुछ तो कर लेंगे।