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क्यूँ

क्यूँ

कुछ थाम लिया; कुछ छोड़ दिया, छूटे का शोक मनाएं क्यूँ,
जीवन है बस खोना-पाना, कुछ खोकर फिर पछताएं क्यूँ ।

जीवन तो मिला सुंदर ना सही, नदिया तो मिली सागर ना सही,
यूं बात-बात पर रो रोकर, नदिया के मोती बहाए क्यूँ ।

गलती की क्यूँ कि जिंदा हैं, किस बात पे फिर शर्मिंदा है;
गलती करने के डर से ही, जीवन में यूं थम जाएं क्यूँ ।

तेरा सारा रस संसार में है; मुझे दुनिया से कुछ मोह नहीं,
चल अपने अपने मन की करें, एक दूजे को बहलाएं क्यूँ |

एक लहर गई एक आएगी, लहरों से बढ़के तू कुछ भी नहीं,
ये वक्त का पहिया थमता नहीं, थम कर तटस्थ बन जाएं क्यूँ |

जो बीत गई वो बात गई, बातों में खुद को उलझाएं क्यूँ ,
जीवन है बस खोना - पाना, कुछ खोकर फिर पछताएं क्यूँ ।