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जिन्हें गुस्सा बड़ा आता है

जिन्हें गुस्सा बड़ा आता है

कभी-कभी मैं ये सोचती हूँ कि जिन्हें गुस्सा बड़ा आता है,
उनकी शायद कोई भी ख़्वाहिश कभी अधूरी नहीं रही होगी।

जीवन ने पूरे किए होंगे सपने,
सुख-दुख के साथी रहे होंगे अपने।
ख्वाब ऐसा एक नहीं जो पूरा ना होगा,
प्रेम गीत कोई अधूरा ना होगा।

फिर अगर सब्जी में नमक ज्यादा डल जाए,
या रोटी का एक कोना थोड़ा सा जल जाए।
करना पड़ जाए अगर ट्रेन का इंतजार,
या शर्ट पर गिर जाएँ चाय की बूंदें दो-चार।

तब लगता होगा कि यूं तो सब कुछ सही है,
रह गई मगर इतनी सी क्यूँ कमी है।
होता है गुस्से से चेहरा फिर लाल,
कर देते हैं छोटी-छोटी बातों पर बवाल।

लेकिन फिर मैं ये भी सोचती हूँ कि जिन्हें गुस्सा बड़ा आता है,
उनकी शायद कोई भी ख़्वाहिश कभी पूरी नहीं हुई होगी।

आंखों में गम और दिल में गहरा सन्नाटा होगा,
जिसको छुपाने में, उन्हें गुस्सा बड़ा आता होगा।