एक चिड़िया छोटी और सुंदर, फूलों से नाजुक उसके पर,
उड़कर जाती सात समंदर, गली-गली ढूंढे अपना घर।
कभी बादलों से बतलाती, कभी बिजलियों से जाती डर,
सबसे पूछे घूम-घूम कर, क्या देखा तुमने मेरा घर ?
कहीं सैकड़ों फूल खिले हैं, रंग-बिरंगा सा है अंबर,
जग सारा है कितना सुंदर, नहीं मिला लेकिन अपना घर।
पापा जहां थे लाड़- लड़ाते, मां रखती आंचल में भरकर,
भाई-बहन करते थे गड़बड़, वहीं रह गया अपना वो घर।