Menu
View and Viewer

दृश्य और दर्शक

मेरे मन में ये विचार आया था जब मैं अपने पापा के साथ नैनीताल गई थी, शायद अगस्त 2021 में, और तब से मैं जब भी किसी सुंदर घूमने वाली जगह जाती हूँ, मुझे ये विचार एक ना एक बार आ ही जाता है।

नैनीताल सुंदर है, बहुत सुंदर। चारों तरफ पेड़ों की चादर से ढके पहाड़ हैं और बीच में है एक सुंदर झील। बादल कभी-कभी इतना नीचे आ जाते हैं कि वो आपको छू लेने का एहसास देते हैं और झील में इतनी सुंदर मछलियाँ और हंस हैं कि अगर आप उन्हें देखेंगे तो शायद घंटों देखते रहेंगे।

अब मैं बात करूंगी उन लोगों की जो नैनीताल घूमने जाते हैं। बेशक मैं भी उनमें ही शामिल हूँ। जब मैं नैनीताल में थी, मैंने देखा कि वहाँ हज़ारों की संख्या में पर्यटक आते हैं, दूर-दूर से। हज़ारों सजी-धजी महिलाएँ, दुनिया भर का मेकअप अपने चेहरे पर लगाकर और अपने सजीले और चमचमाते कपड़े पहनकर, झील के सामने तस्वीरें लेती हुई नज़र आती हैं। दूर-दूर तक आपको बस यही मंजर देखने को मिलेगा। सजे-धजे पर्यटक अपनी तस्वीरें लेते हुए।

यह देखकर मेरे मन में यह प्रश्न उभरता है कि जब हम किसी प्राकृतिक सुंदरता वाली जगह पर जाते हैं तो क्या हम प्रकृति का सौंदर्य देखने जाते हैं या अपना सौंदर्य दिखाने? क्या हम वहाँ सुंदर दृश्य बनकर जाते हैं या सुंदरता के दर्शक?

क्या हम सचमुच सज-धजकर उस सुंदरता का मुकाबला कर सकते हैं जो प्रकृति ने पहले से धरती पर उतार दी है? नहीं ना? फिर क्यों ना सज-धजकर इतनी माथापच्ची करने की बजाय एक कोने में बैठकर प्रकृति की शांति और सौंदर्य का आनंद लिया जाए? क्या ये बेहतर तरीका नहीं है, एक पर्यटक बनने का?